जन्माष्टमी व्रत विधि 2025: शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और नियम

Janmashtami Vrat Vidhi 2025
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नई दिल्ली। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन उपवास और पूजा का विशेष महत्व होता है।

मान्यता है कि जो भक्त विधि-विधान से जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके जीवन से संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी व्रत विधि और कान्हा को प्रसन्न करने के उपाय।

व्रत की तैयारी

जन्माष्टमी से एक दिन पहले घर की साफ-सफाई करें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान कृष्ण को मन में स्मरण करें।

पूजन सामग्री

पूजा के लिए तुलसी दल, माखन-मिश्री, पंचामृत, पीला वस्त्र, बांसुरी, मोरपंख, फूल, धूप, दीपक, फल, मिठाई, कलश और गंगाजल रखें।

व्रत का नियम

भक्त इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं, लेकिन यदि स्वास्थ्य कारणों से निर्जला व्रत संभव न हो तो फलाहार ले सकते हैं। व्रत के दौरान सात्त्विकता बनाए रखें और झूठ, क्रोध, निंदा से दूर रहें।

दिनभर भक्ति और भजन-कीर्तन

दिनभर ‘हरे कृष्ण हरे राम’ का जाप करें, श्रीकृष्ण भजन सुनें और भगवान के जीवन से जुड़ी कथाओं का पाठ करें।

मध्यरात्रि जन्मोत्सव

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे हुआ था। इस समय कान्हा की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं, पीले वस्त्र पहनाएं और बांसुरी, मोरपंख व माखन-मिश्री से उनका श्रृंगार करें। आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

व्रत समाप्ति

अगले दिन प्रातः स्नान कर पुनः पूजा करें और ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन व दान दें। इसके बाद ही व्रत का पारण करें।

कान्हा को प्रसन्न करने के खास उपाय

  • तुलसी दल और माखन का भोग अवश्य लगाएं।
  • रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करें।
  • बच्चों को माखन-मिश्री और मिठाई बांटें।

धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी पर व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। कान्हा की भक्ति और सेवा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हर संकट दूर हो जाता है।