Inspector Zende Review: भारतीय सिनेमा में रियल-लाइफ अपराधियों पर आधारित फिल्में और वेब सीरीज़ हमेशा से दर्शकों के बीच आकर्षण का केंद्र रही हैं। इनमें चार्ल्स शोभराज, जिसे ‘बिकिनी किलर’ कहा जाता है, शायद सबसे लोकप्रिय नाम है।
Netflix पर हाल ही में आई Black Warrant के बाद अब डायरेक्टर चिन्मय मांडलेकर अपनी डेब्यू फिल्म Inspector Zende लेकर आए हैं।
यह फिल्म मुंबई पुलिस के साहसी अफसर मधुकर जेंडे की सच्ची कहानी से प्रेरित है, जिन्होंने शोभराज को दो बार गिरफ्तार किया था। खास बात यह है कि जहां ज्यादातर फिल्में अपराधियों को ‘हीरो’ बना देती हैं, वहीं Inspector Zende कानून के असली नायक पर रोशनी डालती है।
कहानी क्या है?
कहानी की शुरुआत होती है 1986 में, जब चार्ल्स शोभराज (फिल्म में कार्ल भोजराज) तिहाड़ जेल से फरार हो जाता है। इसके बाद मुंबई पुलिस अधिकारी जेंडे (मनोज बाजपेयी) को उसे पकड़ने की जिम्मेदारी दी जाती है। इसके बाद मुंबई से गोवा तक फैला यह पीछा एक रोमांचक ‘कैट एंड माउस गेम’ की तरह सामने आता है।
अभिनय और किरदार
- मनोज बाजपेयी: एक बार फिर उन्होंने साबित किया कि क्यों उन्हें इंडस्ट्री का सबसे बेहतरीन अभिनेता माना जाता है। जेंडे का रोल उन्होंने बेहद सहजता से निभाया है। उनका अंदाज़ कभी The Family Man की याद दिलाता है, तो कभी एक साधारण इंसान की।
- जिम सर्भ (कार्ल भोजराज): हालांकि जिम टैलेंटेड एक्टर हैं, लेकिन फिल्म में उनका किरदार उभर कर नहीं आ पाया। ऐसा लगता है जैसे उन्हें बस कॉस्ट्यूम पहनाकर कैमरे के सामने खड़ा कर दिया गया हो।
- अन्य कलाकार: सचिन खेडेकर (सपोर्टिव बॉस), गिरिजा ओक (डोटिंग वाइफ) और बलचंद्र कदम (मजेदार पुलिस कॉन्स्टेबल) ने कहानी को हल्का-फुल्का बनाने में योगदान दिया है।
डायरेक्शन और फिल्म की खासियत
डायरेक्टर चिन्मय मांडलेकर ने कहानी को अपराधी के नजरिए से नहीं, बल्कि पुलिस अधिकारी के नजरिए से दिखाने की कोशिश की है।
- फिल्म में अपराध को ग्लैमराइज नहीं किया गया।
- जगह-जगह ऑब्ज़र्वेशनल ह्यूमर डाला गया है, जिससे फिल्म बोझिल नहीं लगती।
- पुलिस अधिकारियों की आम जिंदगी जैसे – दूध लाना, पैसों की कमी से जूझना – सबकुछ कहानी का हिस्सा बनता है।
हालांकि फिल्म में कई जगह प्रेडिक्टेबल सीन हैं, लेकिन मनोज बाजपेयी का अभिनय और हल्का-फुल्का ट्रीटमेंट इसे मनोरंजक बना देता है।
क्या अच्छा है?
- मनोज बाजपेयी का शानदार अभिनय
- 70s-80s की मिडल-क्लास सिनेमा जैसी सादगी
- गंभीर थ्रिलर के बीच हल्का हास्य
क्या कमजोर है?
- जिम सर्भ का कमजोर रोल
- कुछ जगहों पर कहानी धीमी और प्रेडिक्टेबल
- सस्पेंस की कमी
वर्डिक्ट
Inspector Zende एक ऐसी फिल्म है, जो क्राइम थ्रिलर की दुनिया में एक ताज़गी लेकर आती है। यह अपराधी को नहीं, बल्कि उसे पकड़ने वाले ईमानदार पुलिस अधिकारी को सेलिब्रेट करती है। मनोज बाजपेयी का दमदार अभिनय इस फिल्म को वीकेंड पर देखने लायक बनाता है।
फिल्म फिलहाल Netflix पर स्ट्रीमिंग हो रही है। अगर आप रियल-लाइफ क्राइम थ्रिलर्स और मनोज बाजपेयी के फैन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है।