क्या है ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’? केरल में 9 साल की बच्ची की मौत, जानिए पूरी कहानी

Brain Eating Amoeba
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केरल के कोझिकोड ज़िले में ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ (Brain Eating Amoeba) का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है क्योंकि जिले में लगातार तीन मामले सामने आए हैं। इनमें से एक 9 साल की बच्ची की मौत हो चुकी है, जबकि एक तीन महीने का शिशु और एक अन्य मरीज जीवन की जंग लड़ रहे हैं।

क्या है ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’?

  • यह बीमारी Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) कहलाती है।
  • इसका कारण है Naegleria fowleri, जिसे आमतौर पर ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ कहा जाता है।
  • यह गर्म मीठे पानी, तालाबों और मिट्टी में पाया जाता है।
  • यह अमीबा नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सीधा दिमाग को संक्रमित करता है।

केरल में स्थिति

  • इस साल अब तक 8 केस और 2 मौतें दर्ज की गई हैं।
  • 14 अगस्त को थमारसेरी (कोझिकोड) में बच्ची की मौत की पुष्टि हुई।
  • स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि तीनों केस अलग-अलग गांवों से आए हैं और इनमें कोई समानता नहीं है।
  • डॉक्टरों के मुताबिक, अमीबा पानी के अलावा धूल और मिट्टी के ज़रिये भी शरीर में जा सकता है।

मौत का खतरा कितना बड़ा?

  • दुनियाभर में इस बीमारी की 97% तक मृत्यु दर है।
  • भारत में अब तक लगभग सभी केस मौत में बदले थे।
  • हालांकि, जुलाई 2024 में कोझिकोड का एक 14 वर्षीय लड़का दुनिया का 11वां और भारत का पहला मरीज बना, जो इस बीमारी से बच पाया।

क्यों बढ़ रहे हैं मामले?

विशेषज्ञों का कहना है कि –

  • बढ़ी हुई टेस्टिंग,
  • क्लाइमेट चेंज और
  • पर्यावरणीय प्रदूषण
    इस अचानक बढ़ोतरी की बड़ी वजह हैं।

पिछले साल जब मामलों में अचानक उछाल आया था, तब केरल सरकार ने स्पेशल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल और SOP तैयार किया, जो भारत में पहली बार किसी राज्य ने लागू किया।

निष्कर्ष

‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ (Brain Eating Amoeba) कोई साधारण संक्रमण नहीं है। यह बेहद दुर्लभ है, लेकिन अगर समय पर पहचान न हो तो जानलेवा साबित होता है। कोझिकोड में हालिया मौत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सावधानी और सतर्कता ही इस बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।